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ज़ाया न कर मेरे एतबार को,साया सा कर, मेरे एतबार को।। बहुत तोड़कर जोडा गया हूँ,हमसाया तो कर, मेरे एतराम को।। वो जो बाकी बची है, थोड़ी किरचन मेरी,हिफाजत से रख, मेरे इस...
तुमसे करनी है वह बात जो बात बाकी रही।करनी है तुमसे वह मुलाकात जो बाकी रही।। जाने कितने रंग फिजाओं में बिखरे हैं मगर।बनानी है तुम्हारी वह तस्वीर जो अधूरी रही।। बागों में...
मैं बिलकुल कमजोर नहीं जो संग हवाओं के बह जाऊँ. मैं बिल्कुल नादान नहीं जो संग किसी के भी लग जाऊँ. स्वाभिमान जिनका गहना हो, वो तूफ़ा भी मुझको भाते. मैं इतनी खुदगर्ज...
ज़ाया न कर मेरे एतबार को,साया सा कर, मेरे एतबार को।। बहुत तोड़कर जोडा गया हूँ,हमसाया तो कर, मेरे एतराम को।। वो जो बाकी बची है, थोड़ी किरचन मेरी,हिफाजत से रख, मेरे इस...
समय का पहिया चले प्रतिपल, अपनी ही रफ़्तार,न रुके, न थमे, न करे कभी ये किसी का इंतज़ार। कल-कल बहती सरिता जैसा, ये आगे बढ़ता जाए,जो संग चले, वे निखर गये, जो चूके,वे...
नहीं जानती तुम मां भारती मैं तुमको कितना चाहता हूँ इसीलिए तुम्हारी रक्षा की सौगंध आज मैं खाता हूँ। आँच नहीं आने दूंगा मैं तुम्हारी आन-बान और शान पर मै। लड़ता जाऊंगा तुम्हारी...
बात करोगे तो बात बनेगीबिना बात के यहां दाल नहीं गलेगी।क्योंकि यहां खेल ही सारा बातों का हैयहां मोल नहीं कोई जज़्बातों का है।जो तुम कह सकें अपनी बातेंसुधर जाएंगी तुम्हारे दिन और...
Boltee Kalam सिर्फ एक नाम नहीं, एक आंदोलन है – जहां कविता, कहानियाँ, शब्दों की ताकत, और आवाज़ मिलते हैं एक नए सफर पर। हमारा उद्देश्य है आपकी सोच को आवाज़ देना, और...
” क्यों भैये,कहां जा रहे हो? “” अरे नाम धाम तो बताओ यार —-“” थैले को इतना कसके लिपटा ए रखे हो सीने से, क्या रखा है थैली में जी??? “मुख्य सड़क को...
तुझको पाकर खिल उठा मैं ,मन मेरा मुस्का गयाख्वाब जो देखा कभी था उसको हासिल कर लिया। तुझको पाकर खिल उठा ———— मांगा प्रभु से तुझे पाया ओ मेरी प्यारी कली,.जतन से...
भारत की बात निराली है , इस देश की बात निराली है ,क्या-क्या बोलूँ कैसे बोलूँ ,वाणी भी थम सी जाती है । यह वीर शिवा की धरणी है,यह महाराणा की जननी है...
बोलती कलम एक साहित्यिक और सांस्कृतिक डिजिटल मंच है, जिसकी स्थापना श्री संजय राय ‘साईं’ द्वारा की गई है। यह मंच कवियों, शायरों, लेखकों और रचनात्मक कलाकारों को अपनी अभिव्यक्ति के लिए एक सम्मानित स्थान प्रदान करता है। कवियों का संगम, गुफ़्तगू, दास्तां-ए-बोलती कलम जैसे लोकप्रिय कार्यक्रमों के माध्यम से यह मंच साहित्य को जन-जन तक पहुँचाने का कार्य करता है। बोलती कलम का उद्देश्य है शब्दों को आवाज़ देना, भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देना और हर उस रचनाकार को मंच देना, जिसके पास कहने के लिए कुछ खास है।
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बोलती कलम एक डिजिटल साहित्यिक मंच है, जिसकी स्थापना श्री संजय राय ‘साईं’ द्वारा की गई है। यह मंच कवियों, शायरों, लेखकों और रचनात्मक कलाकारों को अपनी प्रतिभा को प्रस्तुत करने का एक सम्मानजनक अवसर प्रदान करता है। कवियों का संगम, गुफ़्तगू, दास्तां-ए-बोलती कलम जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से हम साहित्य और संस्कृति को जोड़ने का कार्य करते हैं। हमारा उद्देश्य है – हर कलम को आवाज़ देना और साहित्य को नई पीढ़ी तक पहुँचाना।
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